मज़ा, अपराध बोध और स्वीकृति
"मुझे खुद के बारे में गन्दा Feel हो रहा है," नगमा
कहती हैं। "मुझे ये सोच कर बहुत आश्चर्य हुआ कि सारी दुनिया को छोड़ कर मेरे
दिमाग में मेरे अपने अंकल के बारे में Sex के ख्याल आ रहे हैं।" इस बात के अपराध बोध
ने नगमा का पीछा नहीं छोड़ा, जब तक उसने इस बारे में खुल के बात
नहीं करी।
मैं हमेशा से पढ़ने में अच्छी थी और कैरियर के
बारे में सोचने वाली लड़की थी। मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है और वो मेरे भविष्य को
लेकर मुझे पूरी तरह से समर्थन देते हैं। मुझ पर कोई रोकटोक भी नही थी। जैसे कि
कॉलेज ट्रिप्स या पुरुष Friends
का घर आना-जाना। मैंने कभी कोई बात अपनी माँ से नहीं छुपाई।
मैं अपने इस अंकल से कूर्ग में परिवार कि एक
यात्रा के दौरान मिली। वो मेरी माँ के चचेरे भाई थे। मेरी माँ से कुछ साल छोटे।
उनकी हर बात मुझे आकर्षक लगी। वो देखने में अच्छे थे और अविववाहित थे। हमने कुछ Time साथ बिताया, संगीत के बारे
में बात करते हुए। मुझे धीरे-धीरे फिल्मो कि तरह उनकी तरफ खिंचाव Feel होने लगा। मेरी कवितायेँ उन्हें सुनाना
और उनके बारे में चर्चा करना मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। एक शाम जब मैं उनके साथ
बरामदे में बैठी थी तो माँ वहाँ आयी। उन्होंने हम्हारी तरफ देखा और फिर मुझे रसोई
में सहायता करने के लिए बुला लिया। ये मुझे थोडा अजीब लगा और फिर मुझे बाकि बचे
हुए दिन में अंकल से बात करने में झिझक Feel हुई।
कुछ दिन बाद उनका परिवार हैदराबाद में आकर बस
गया। मेरे माता पिता उनकी इस में सहायता कर रहे थे। इसके च्कलते मुझे उनसे मिलने
के और मौके मिलने लगे। संगीत के बारे में चर्चा और ढेर सारी बातें। इसी दौरान मुझे
अचानक सेक्सी होने के महसूस के बारे में Feel होने लगा। जैसे बिकिनी वैक्स, लॉन्जरी-
ये सब जो मुझे पहले सोचकर ही शर्म आती थी। बहरहाल मुझे अआदि लग रहा था और मैं
जानती थी कि मेरा परिवार भी मेरा बदलाव Feel कर रहा होगा।
उनसे मुलाकात मेरे लिए अब कठिन का सबब बनने
लगी। मुझे अपराधी जैसा Feel होने
लगा। अपने दिमाग में मुझे लगता था कि अंकल के बारे में Sex के ख्याल लाकर मैं अपनी माँ को धोका दे
रही थी। मुझे लगने लगा जैसे कि मैं एक वैश्या हूँ। और क्यूंकि मेरे परिवार कि राइ
मेरे बारे में अलग थी मैं ये बात किसी से शेयर भी नहीं कर सकती थी। मैं अपनी नज़रों
में खुद गिरने लगी।
मैंने परिवार के व्यक्तियों से मिलना जुलना कम
कर दिया। क्यूंकि अपने मन में ये सोच लिया था कि सेक्सी लगने का मतलब है व्यभिचारी, इसलिए मैंने
बिलकुल सादा तरह से तैयार होना शुरू कर दिया। और कई बार तो जैसे मैं कोशिश करती थी
कि मैं अच्छी ना लगूं। घर पर भी मैं बहुत कम बात करती थी। जब मैं अपने मन में यह
बात और नहीं रख पायी, तब मैंने अपनी बड़ी बहन को इस बारे में बताया।
वो मेरी बात सुनकर हसने लगी और उसने मुझे बताया
कि वो भी एक Time पर
हमारे एक चचेरे भाई के बारे में शारीरिक Relation कि कल्पना करती थी। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर
से एक बोझ उतर गया, और इस तरह कि रहस्मयी भावनाएं रखने वाली मैं
अकेली नहीं थी।
पहली बार, हमने अपनी कामुक
कल्पनाओं के बारे में दिल खुल कर इ दूसरे से बात-चीत करी। मुझे इतनी ख़ुशी हो रही
थी कि मुझे मेरी सोच के लिए कोई आंक नहीं रहा था। मैं यह स्वीकारना चाहूंगी कि मैं
अपने अंकल के बारे में अभी भी कल्पना करती हूँ। और मैं इसको सिर्फ कल्पना ही रखना
चाहती हूँ...और कुछ नहीं।
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