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Tuesday 24 June 2014

Meri Nakam Lesbian Prem Kahani

मेरी नाकाम लेस्बियन प्रेम कहानी
यदि हम भाग भी जाएं तो हमें ढूँढ लिया जायेगा और मारा जायेगा। हम बेशक एक दूसरे से प्यार करते हों But हमारा समाज इस तरह के Relation को कभी मंजूरी नहीं देगा
"यदि हम भाग भी जाएं तो हमें ढूँढ लिया जायेगा और मारा जायेगा। हम बेशक एक दूसरे से प्यार करते हों But हमारा समाज इस तरह के Relation को कभी मंजूरी नहीं देगा", रचना का कहना है। रचना और उसकी लेस्बियन (Lesbian) साथी के पास अपने इस Relation को भूल कर लड़कों से शादी करने के सिवा कोई रास्ता नहीं है।
अगले महीने मेरी शादी हो रही है। मैं शादी नहीं करना चाहती पर मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मेरी Partner ने अपने घरवालों कि पसंद के लड़के से शादी कर ली है। काश हम दोनों हमेशा साथ रह सकते! हमने कई बार भागने के बारे में सोचा But खाप पंचायत हमें कहीं चैन से नहीं रहने देगी।
मेरा परिवार हरियाणा से है और मैं नजफगढ़ में पली बढ़ी। मुझे शुरू से लड़कों कि तरह कपडे पहनना पसंद था और लड़कियों वाली कोई गतिविधि मुझे पसंद नहीं आती थी। इसका कारण क्या था मैंने ये जानने कि कभी कोशिश नहीं कि। आखिर क्यूँ मेरा ध्यान सलमान से ज़यादा माधुरी दीक्षित पर क्यों जाता था?
मुझे ये भी नहीं समझ आया था कि मेरी नज़रें मैनिका नाम कि उस लड़की पर क्यूँ रुकी थी जिसने कुछ दिन पहले मेरे ऑफिस में काम करना शुरू किया था। हम दोनों एक ही क्षेत्र से आते थे, और हो सकता है कि इसलिए हम जल्दो ही दोस्त बन गए। बस एक बात अजीब थी, उसके छूने से मानो मेरे शरीर में कंपकपी सी दौड़ जाती थी जैसे कोई बिजली का करंट।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यूँ हो रहा है But मुझे कुछ बेचैनी सी होती थी। उसे मेरे ऑफिस में 6 महीने हुए होंगे जब वो मेरे जन्मदिन कि पार्टी में आयी और गाल पर Kiss करते हुए उसके होठों ने मेरे होठों को गलती से छू लिया। अजीब बात ये थी कि मुझे अटपटा लगने कि बजाये अच्छा लगा।
हमें तुरंत ही अपराधबोध जैसा महसूस हुआ। उसके बाद हम दोनों ने एक हफ्ते तक बात नहीं की। मैंने समलैंगिकता के बारे में Internet  पर कुछ जानकारी अर्जित की और मैं जानना चाहती थी कि मैनिका के मन में क्या चल रहा है। मुझे तब तक मैनिका के लिए अपने इस लगाव का महसूस नहीं हुआ था।
और इसके एक महीने बाद मेरे और मैनिका के बीच का ये भावनात्मक जुड़ाव शारीरक Relation तक पहुँच गया। मुझे नहीं पता था कि हम क्या कर रहे हैं और इसका भविष्य क्या है But जो भी था वो अच्छा लग रहा था। हो सकता है कि इसीलिए हम समाज और परिवार के बारे में सोचना ही नहीं चाह रहे थे।
हमारे परिवार को हमपर कभी शक नहीं हुआ। क्यूंकि उन्हें हो सकता है कि लेस्बियन और समलैंगिकता के बारे में ज़यादा कुछ पता ही नहीं था। But आखिर अच्छा Time ख़त्म हो गया।
एक दिन मैनिका कि माँ ने उसके गले पर हमारे प्यार का एक निशान देख लिया और उन्होंने ये मान लिया कि मैनिका का हो सकता है कि किसी लड़के के साथ सम्बन्ध शुरू हो गया है।उन्होंने उसका घर से निकलना बंद कर दिया और तीन हफ्ते में लड़का ढूँढ कर उसकी शादी पक्की कर दी।
किस्मत ने हमें अजीब मंज़र पर ला खड़ा किया। मैनिका कि माँ ने मेरी माँ को फोन करके कहा कि बहनजी दिल्ली जाकर इन् लड़कियों के पर निकल आये हैं और इनके अफेयर शुरू हो गए हैं, हमने तो मैनिका कि शादी तय कर दी है और आप भी जल्दी ही रचना कि शादी कर दो। उन्होंने यहाँ तक कहा कि मैनिका के लिए जो लड़का देखा है, उसका एक दोस्त है जो रचना के लिए अच्छा रहेगा।
मेरी माँ को तो वैसे ही मेरी शादी कि जल्दी थी। तो उन्हें ये सुझाव अच्छा लगा और उन्होंने पापा के ज़रिये बात आगे बढ़ाई और मेरी शादी भी पक्की कर दी गयी। इस सारी जद्दोज़हद के बीच किसी ने मुझसे मेरी मर्ज़ी जानने कि कोशिश भी नहीं की।
मैं अभी सिर्फ ये कह सकती हूँ की यदि यह कहानी मेरी अपनी न होती तो हो सकता है कि मैं इस पर हंसती। क्यूंकि ये कितना अजीब है की मेरी इच्छा जाने बगैर मेरी शादी मेरी प्रेमिका के पति के दोस्त से की जा रही है।
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