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Monday 23 June 2014

Pyar akhir dimag men kaha rahata hai?

प्यार आखिर दिमाग में कहाँ रहता है?
वैज्ञानिकों ने इंसानी दिमाग के उस हिस्से को पहचाना जो हमें ये निर्णय लेने में सहायता करता है
वैज्ञानिकों ने इंसानी दिमाग के उस हिस्से को पहचाना जो हमें ये निर्णय लेने में सहायता करता है की हम किस व्यक्ति से प्यार करें। वासना को नियंत्रित करने वाला हिस्सा इस हिस्से से बिलकुल अलग है। इस बात की पुष्टि उस व्यक्ति के क्षतिग्रस्त दिमाग से हुई जो प्यार करने की क्षमता खो चुका है।
प्यार और वासना के बीच का अंतर लगभग सभी जानते हैं। वासना सिर्फ किसी व्यक्ति के प्रति क्षणिक शारीरक आकर्षण है। ये प्यार बिलकुल नहीं है और ये बात आपको भी पता होती है।
But 48 साल के इस व्यक्ति के प्यार होने के समीकरण समझना आसान नहीं है। कारण? दौर पड़ने से दिमाग के एंटीरियर इंसुला नामक हिस्से का क्षतिग्रस्त हो जाना।
वैज्ञानिकों को पहले से इस बात का थोड़ा अंदाज़ा था किसी दिमाग का ये हिस्सा प्यार की भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इसी अध्यन से दिमाग के एक और हिस्से के बारे में जानकारी मिली जिसका नाम है पोस्टीरियर इंसुला और ये हिस्सा वासना को नियंत्रित करता है। वैज्ञनैकों ने पता लगाया की कैसे एंटीरियर इंसुला के क्षतिग्रस्त होने की वजह से यह व्यक्ति साधारण व्यक्तियों की तरह प्यार के भाव Feel कर पाने में अब असमर्थ था।
जब इस व्यक्ति को कुछ आकर्षक महिलाओं की फोटो दिखाई गयी जो उसके मुताबिक सेक्सी थी- पोस्टीरियर इंसुला पूरी तरह से सक्रिय था। But जब पुछा गया की क्या उसे इस महिला से प्यार हो सकता है तो उसका दिमाग कोई फैसला नहीं ले पाया- दूसरे पुरुषों की तुलना में !
तो आखिर वासना और प्यार की प्रक्रिया हमारे दिमाग में अलग अलग कैसे चलती है? वासना तो निश्चित रूप से सिर्फ शारीरक प्रवर्ति है - और इस बात का महसूस हमें होता है और यदि वैज्ञानिकों की मानें तो वासना के संकेत मस्तिष्क से ही ठोस रूप में प्रवाहित होते हैं। और क्यूंकि प्रोस्टेरिओर इंसुला का सम्बन्ध हमारे शारीरिक संवेदनाओं से है जोकि हमारी शरीर की गति को भी नियंत्रित  करता है, किसी व्यक्ति के प्रति शारीरक आकर्षण का सम्बन्ध भी इससे होने की बात समझ आती है।
वहीँ दूसरी और प्यार का भाव होना एक जटिल प्रक्रिया है- यह शारीरक संतुष्टि की तरह सीधा और सरल मामला नहीं है। वैज्ञानिकों के अनुसार प्यार का निरूपण एंटीरियर इंसुला के द्वारा अमूर्त रूप से होता है। यही एंटीरियर इंसुला अनुभवों के आधार पर भावनाओं के निर्माण में भी मजबूत भूमिका निभाता है।
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