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Saturday 22 February 2014

Sex ka sahi knowledge

 Sex का सही Knowledge

Sex का सही Knowledge उतना ही जरूरी है, जितना कि दूसरे विषयों का Knowledge। हमारे देश में मेडिकल कॉलेज तक में Sex एजुकेशन नहीं दिया जाता, जिसके परिणामस्वरूप Sex संबंधी अंधविश्वास, भ्रांतियां और इससे जुड़ी कई समस्या (Problem)एं उत्पन्न होती हैं।
यह कहना है एसोसिएशन ऑफ सेक्सुअलिटी एजुकेटर्स, काउंसलर्स एवं थेरेपिस्ट्‍स के अध्यक्ष डॉ. महेश नवाल का। उनका कहना है कि यदि सही उम्र में Sex Education दी जाए तो किशोर मातृत्व, अनचाहे गर्भ, यौन अपराध, गुप्त रोग तथा एड्‍स जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही Sex संबंधी समस्याएं (Problem) जैसे- हस्तमैथुन (Masturbation) से उत्पन्न अपराधबोध, नपुंसकता, स्वप्नदोष, धातु रोग और लिंग (Penis) के आकार को लेकर विभिन्न भ्रांतियों से भी आसानी से मुक्त हुआ जा सकता है।
Sex Education के लिए सही उम्र के प्रश्न पर डॉ. नवाल कहते हैं कि इस विषय पर देशव्यापी बहस की जरूरत है, लेकिन बदलते परिवेश और युवाओं की जिज्ञासाओं को देखते हुए 9वीं-10वीं कक्षा से Sex एजुकेशन दिया जा सकता है क्योंकि 13-14 वर्ष की उम्र में लड़के-लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन होते हैं। 
एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से एमबीबीएस डॉ. नवाल का कहना है कि सही Sex Education मिलने से लड़के-लड़कियां अपने शारीरिक परिवर्तनों से घबराएंगे नहीं, नकारात्मक रूप से नहीं सोचेंगे और शार‍ीरिक परिवर्तनों को सहज रूप से लेकर जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे देश में Sex संबंधी वैज्ञानिक व तार्किक पहुलओं पर खुलेआम चर्चा नहीं होती। इस विषय पर बात करना भी वर्जित माना गया, जबकि गुप्तांग भी शरीर के वैसे ही अंग हैं, जैसे ‍कि अन्य अंग। 
क्या Sex एजुकेशन से लड़के-लड़कियों में Use करने की प्रवृत्ति नहीं बढ़ेंगी? इस सवाल पर वे कहते हैं कि यह एक भ्रम है। अपने जवाब के पक्ष में तर्क देते हुए नवाल कहते हैं कि स्वीडन, नार्वे तथा अन्य देशों का रिकॉर्ड बताता है कि Sex Education के बाद Sex संबंधी Use करते की रुच‍ि कम होती है और सही जानकारी से उनकी वे सभी जिज्ञासाएं शांत हो जाती हैं, जिनकी पूर्ति के लिए वे Use करते हैं अथवा करना चाहते हैं। इतना ही नहीं जिन देशों में Sex Education दी गई वहां Sex से जुड़े अपराधों में भी कमी आई।
बढ़ते बलात्कार और Sex संबंधी अपराधों के संबंध में उन्होंने कहा कि Sex में असंतुष्ट (Satisfied) व्यक्ति गलत तरीके से संतुष्टि हासिल करने के लिए इस तरह की क्रियाएं करता है। इसके लिए अन्य कारण गिनाते हुए डॉ. नवाल ने कहा कि नैतिकता का पतन, नशाखोरी की प्रवृत्ति, अश्लील साहित्य, पोर्न मूवी देखकर भी व्यक्ति यौन अपराध करता है। हस्तमैथुन (Masturbation) के प्रति अपराधबोध भी इसका एक कारण है। 
क्या वेश्यालयों को लाइसेंस देकर इन अपराधों को कम किया जा सकता है? वे कहते हैं ‍कि जिन देशों में वेश्यालयों को लाइसेंस दिए गए वहां यौन अपराधों में कमी आई है। अत: India में इस दिशा में सोचा जा सकता है।
अमेरिकन बोर्ड ऑफ सेक्सोलॉजी से डिप्लोमेट की मानद उपाधि प्राप्त डॉ. नवाल मानते हैं कि Sex का संबंध शरीर से ज्यादा मन से होता है। ब्रेन में भी Sex का एक सेंटर होता है, जो विभिन्न संवेदनाओं के जरिए उत्तेजित होता है। 
वे कहते हैं कि यौन समस्या (Problem)ओं का कारण भले ही मानसिक हो अथवा शारीरिक, लेकिन एक बात की कमी सभी व्यक्तियों में समान रूप से पाई गई है, वह है Sex Education का अभाव। Sex एजुकेशन न होने से व्यक्ति Sex संबंधी अनेक मानसिक परेशानियों से घिर जाता है, जो कि वास्तव में होती ही नहीं हैं। आधी-अधूरी जानकारी के कारण व्यक्ति ऐसी समस्या (Problem) को स्वयं विकराल बनाकर आत्मग्लानि का शिकार हो जाता है। (डॉ. महेश नवाल एक जाने-माने सेक्सोलॉजिस्ट हैं)…………………..

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